बुधवार, 25 मई 2011
गर्मी से हार गया बीहड़ हिलाने वाला
सन 60 के दशक में चंबल के बीहड़ों में मध्यप्रदेश, राजस्थान तथा उत्तरप्रदेश की पुलिस को घुटने टेकने पर मजबूर करने वाले डकैत माखन सिंह सिकरवार (जिन्होंने 1972 में आत्मसमर्पण कर दिया था) की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई। पूर्व डकैत माखन सिंह की लाश सिविल लाइन थाना क्षेत्र के शिकारपुर रेलवे फाटक के पास से बरामद की गई है। पुलिस की प्राथमिकी जांच में पूर्व डकैत की मौत अत्यधिक गर्मी तथा प्यास से होना बताया जा रहा है, लेकिन अभी यह रहस्य ही बना हुआ है कि आखिर पूर्व डकैत शिकारपुर रेलवे फाटक के पास किस प्रयोजन से आये थे जबकि इस क्षेत्र में उनका कोई नाते-रिश्तेदार या कोई जान पहचान वाला भी नहीं रहता है।
सिविल लाइन थाना पुलिस ने बताया कि पूर्व डकैत माखन सिंह सिकरवार, 70 वर्ष, निवासी अजीतपुरा, 21 मई को बाजार की कहकर निकले थे। जब दो तीन दिन तक वो घर वापस नहीं लौटे तो उनके परिजनों ने उन्हें खोजना शुरू किया था। मंगलवार की शाम सिविल लाइन थाना पुलिस को शिकारपुर रेलवे फाटक के पास से एक अज्ञात लाश मिली थी। पुलिस ने पूर्व डकैत माखन सिंह सिकरवार के परिजनों को फोन कर लाश की शिनाख्ती के लिये बुलाया तो उनकी मौत का खुलासा हुआ। लाश ज्यादा पुरानी नहीं है, संभवत: मौत मंगलवार की दोपहरी में ही हुई है। फिलहाल मौत के कारण भी स्पष्ट नहीं हो सके हैं। प्रारंभिक जांच के आधार पर प्यास का कारण मौत होना प्रतीत हो रहा है। इस मामले में इससे अधिक पीएम रिपोर्ट के आने के बाद ही कहा जा सकता है।
सन् 72 में गांधी आश्रम में डाले थे हथियार
पुलिस रिकार्ड के मुताविक पूर्व डकैत माखन सिंह सिकरवार ने 16 अप्रैल 1972 में जौरा के गांधी आश्रम में जयप्रकाश नारायण तथा तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद सेठी के सामने अपने 45 सदस्यों की गैंग के साथ आत्मसमर्पण किया था। विदित हो कि चंबल के बीहड़ों में राज करने वाले दुर्दांत डकैतों में से 511 ने आत्मसमर्पण किया था।
सलाम साहिब था तकिया-कलाम
पूर्व डकैत माखन सिंह की सन 60 के दशक में चंबल के बीहड़ों में तूती बोलती थी। उनकी गिरोह बड़ी गिरोहों में शामिल थी। जिसमें 45 डकैत थे और सभी अपने आपमें कई खूबियों को समेटे हुये थे। आत्मसमर्पित पूर्व डकैत माखन सिंह गिरोह के सरदार थे तथा सलाम साहिब उनका तकिया-कलाम हुआ करता था। एक तरह से यह गिरोह के सदस्यों के लिये मुख्य संदेश हुआ करता था। जिसका मतलब था कि सब खैरियत है। सन 72 में सामूहिक आत्मसमर्पण के बाद सन 82 तक जेल में रहने वाले माखन ने तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. अर्जुन सिंह के सामने भी भविष्य में बंदूक न उठाने की कसम खाई थी। कसम से पूर्व स्व. अर्जुन सिंह को पूर्व डकैत माखन सिंह ने जेल से सिर्फ सलाम साहिब का संदेश भेजा था, जिसका अर्थ था अब सब खैरियत है तथा गृहस्थ जीवन जीना चाहते हैं और तब से लेकर आज तक आत्मसमर्पित डकैत माखन सिंह सिकरवार दादा ने अपने हाथों में बंदूक नहीं उठाई तथा ताउम्र समाजसेवा में बिता दी।
जुल्मों अत्याचार के खिलाफ उठाई थी बंदूक
पुलिस रिकार्ड के मुताविक आत्मसमर्पित पूर्व डकैत माखन सिंह सिकरवार सन् 50 के दशक में देवगढ़ थाना क्षेत्र के नंदगांगोली गांव में सपरिवार निवास करते थे। गांव के दबंग उनके परिवारजनों पर अन्याय अत्याचार करते थे। स्वभाव में काफी सरल व सौम्य माखन सिंह सिकरवार ने बचपन से लेकर जवानी की दहलीज तक दबंगों के अन्याय-अत्यार को सहन करते रहे। लेकिन कब तक। एक दिन उन्होंने अपने छोटे भाई देवी सिंह सिकरवार के साथ बंदूक उठाई और दो हत्याओं को अंजाम देने के बाद बीहड़ की राह पकड़ ली। तब से लेकर अपने पूरे डकैती जीवन के दौरान जुल्मोसितम को जड़ से खत्म करने की मशक्कत में जुटे रहे। एक समय ऐसा भी आया जब डकैत माखन सिंह सिकरवार की बंदूक बीहड़ों में चलती तो उसकी गूंज समूचे देश में सुनाई देती थी।
छिद्दा-माखन की जोड़ी ने हिलाया था बीहड़
आत्मसमर्पित पूर्व डकैत माखन सिंह की गिरोह में उनका रिश्ते का भाई छिद्दा करीबन दस साल तक गिरोह में रहा था। डकैत माखन सिंह के पास सन् 60 के दशक मे आॅटोसेमी रायफल थी जो आज के समय में लाखों रुपये कीमत के बाद भी काफी मशक्कत से मिलती है। बीहड़ों में बड़े गिरोहों में शामिल रहे डकैत माखन सिंह की गिरोह का नाम छिद्दा माखन की गिरोह के नाम से पहचानी जाती थी। छिद्दा की मौत के बाद डकैत माखन काफी टूट गये थे तथा कुछ समय के लिये गिरोह की गतिविधियां भी शांत हो गई थीं, इसी का फायदा उठाकर पुलिस ने सन 60 में डकैत माखन सिंह के भाई देवी सिंह को एनकांउटर में मार गिराया था। इसके बाद डकैत माखन सिंह ने बीहड़ों में कई हत्यायें, लूट, डकैती तथा नरसंहारों को अंजाम दिया था। सबसे बड़ा नरसंहार पन्द्रह पुलिस कर्मियों का था। जिसे डकैत माधौसिंह के साथ मिलकर दिया था। यह सर्चिंग पार्टी डकैत माखन सिंह के गिरोह के एनकांउटर के लिये गई थी।
पूर्व डकैत माखन सिंह का मरणोपरांत का छायाचित्र।
सन 82 के आसपास अजीतपुरा में अपने घर में नाती-पोतों के साथ खेलते पूर्व डकैत माखन सिंह।
सन 82 में मध्यप्रदेश के तत्कालीन सीएम स्व. अर्जुन सिंह के सामने भागवत की कसम खाकर गृहस्थ जीवन में प्रवेश करते पूर्व डकैत माखन सिंह।
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5 टिप्पणियां:
kuch ajib nahi hai ki jo tapte bihado, ag barsati hawao mai, raha use ab aakar garmi ne apne aagosh mai samet leya mujhe kuch jamti nahi ye bat.
Sir, Thanks for Interesting post..beehad hilane wala kaise mara ye to pm report ke bbad hi clear hoga. but its a assumtion only that the Cause of his death is weather...
http://atulkushwaha-resources.blogspot.com/
Bhupendra Singh sikarwar from murena
Sir... Aap kuch or bhi jnte h kya inke bre.. Me... Me kafi kuch jnta hu.. Inke bare me.. Or muje.. Or bhi bate jaani h... To ager aap or bhi jnte h inke bare me ....soo.. Please tell me more...
हा मैं जानता हूं
यह मेरे गांव के है इनका पूरा परिवार अभी भी नंदगंगोली गांव मैं रहता है
पुन्ना लाल मुखिया इनकी गिरोह का खास आदमी था
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