80 के दशक के चंबल के बीहड़ को हिला देने वाला और आजीवन कारावास भुगतने के साथ सामान्य जिंदगी बिता रहा दस्यु रमेश सिकरवार एक बार फिर बीहड़ में कूद गया है। जीवन के छटवें दशक में चल रहे इस डकैत के जीवन में कुछ ऐसा घटा कि एक बार फिर इसने बंदूक उठा ली है।
दरअसल रमेश सिकरवार समर्पण के बाद 18 साल मुरैना जिले की सबलगढ़ जेल में बंद रहा। यहां से रिहा होने के बाद इसी जिले के विजयपुर कसबे के पास मिली कुछ जमीन पर वह खेती करके रहने लगा। इस इलाके में रावत जाति का बाहुल्य है और कांग्रेस और भाजपा दोनों की दलों के नेता और विधायक इसी जाति से हैं। बताते हैं कि इस कसबे के पास कैमाराकलां नाम के गांव में जमीन के कुछ हिस्से को लेकर सिकरवार के परिवार को रावत जाति के लोगों में विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि इस घटना में रावत जाति के दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस मामले में छह-सात लोगों को नामजद किया गया है जिनमें रमेश सिकरवार का भी नाम शामिल है। इसके बाद से ही रमेश सिकरवार अपने साथियों के साथ फरार है। अब पुलिस रिकार्ड में तो रमेश दो लोगों की हत्या का आरोपी हो ही गया है लेकिन कहते हैं इस घटना के दौरान वह स्वयं मौजूद नहीं था। उसके परिवारीजन अवश्य यहां थे। रावत जाति के विधायक और भाजपा-कांग्रेस नेताओं के दबाव में पुलिस ने रमेश को भी आरोपी बना लिया है। सच्चाई कुछ भी हो लेकिन एक बार फिर रमेश की दुनिया बीहड़ हो गई है।
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