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रविवार, 19 जून 2022

चंबल की चमकीली रेत पर कटहल का प्यार















अथाह जलराशि के किनारे किलोमीटर तक फैली चांदी सी चमकीली रेत। कलरव करते परिंदें और किलोल भरते वनचर। आषाढ़ के सुहाने मौसम में चंबल के किनारे  गुलजार हैं। ऐसे में पंचनद पर कटहल महोत्सव का आयोजन माहौल  में एक  अलग ही रंग भर रहा है। इटावा-औरैया  जिले की सीमा पर पांच नदियों के संगम पर इन दिनों कटहल महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय आयोजन का शनिवार को विधिवत उद्घाटन किया

कभी दहशत का पर्याय  रहा चंबल का इलाका इन दिनों पर्यटकों से  गुलजार है। चांदी सी चमकती रेत पर पर्यटकों  के तंबू लगे  हुए हैं। दरअसल, देश दुनिया में चंबल की छवि को बदलने के लिए यह आयोजन  चंबल फाउंडेशन की एक पहल है। फाउंडेशन चंबल की सकारात्मक पहचान विश्व के सामने लाने को कई वर्षों से अथक प्रयास कर रहा है। चंबल पर्यटन मुहिम के तहत यमुना, चंबल, सिंध, क्वारी और पहुज नदी के संगम पर जहां  कभी दिन में भी लोग जाने से कतराते थे, वहां का माहौल बदला नजर आ रहा है। चंबल की खूबसूरती को निहारने दूर दराज से सैलानी पहुंच रहे हैं। पांच नदि.यों के संगम के कारण यहां दूर तक फैली जलराशि तो है ही, नरम रेत का अहसास भी मिल रहा है। घटियाल और जलीय जीवों की बहुलता से कई दर्शनीय नजारे भी हैं। साथ ही, फाउंडेशन ने यहां रात्रि में रुकने और सूक्ष्म राफ्टिंग का भी इंतजाम किया है। रात में संगीत की महफिल भी लगती है। पहली बार हो रहे इस आयोजन महिला-पुरुष पर्यटक कैंपों में रात भी बिता रहे हैं। चंबल के इस इलाके में कटहल की पैदावार खूब होती है। इस तरह यह आयोजन कटहल की पैदावार को बढ़ाने का भी संदेश दे रहा है। महोत्सव में कटहल  के लजीज व्यंजन का लुत्फ उठाने की भी व्यवस्था की गई है। महोत्सव में कई प्रदेशों से लाए गए कटहल की प्रदर्शनी लगाई गई है। यहां चंबल के बीहड़ में पैदा हुआ  सबसे बड़े आकार का कटहल भी  देखने को रखा गया है।  करीब पौने चार फीट लंबा यह कटहल २३ किलो वजन का है। वहीं थाईलैंड का रंगीन  कटहल भी देखने को रखा गया है। कटहल की पूरे विश्व में मांग को देखते हुए बीहड़वासियों से इसका पौधा लगाने की अपील भी की जा रही है। विश्व के तमाम देशों में पका  कटहल खाने का चलन है मगर, चंबल में पका  कटहल  नहीं खाया जाता है। महोत्सव में पके कटहल को खाने के बारे में भी बताया  जा रहा है। पक्के कटहल का स्वाद केला और अन्नास के स्वाद जैसा होता है। महोत्सव में योग भी कराया जा  रहा है। रविवार को पंचनद योग महासंगम की संयोजक स्वेच्छा दीक्षित ने चंबल की रेत  में योग के विविध  आसन कराए।  दस्यु सरगना रहे सलीम गुर्जर उर्फ पहलवान के गांव के नजदीक सिंध नदी में राफ्टिंग की गई। सिंध नदी का प्रवाह यहां तेज होने से राफ्टिंग रोमांच से भर देती है। चंबल परिवार प्रमुख शाह आलम राना ने बताया, सिंध नदी में राफ्टिंग का यह सफल प्रयोग सूबे की पहली राफ्टिंग के लिए जानी  जाएगी। पचनद के किनारे यह पहला  आयोजन ही बहुत कुछ कहता है। यह भविष्य की वह तस्वीर भी दिखाता है  जिस पर बीहड़वासी आने वाले दिनों में गर्व कर सकेंगे। नदी, बीहड़ और प्राकतिक नजारों के आग्रही  को एक बार यहां जरूर आना चाहिए।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

बीहड़ का एक अद्भुत दृश्य। मनोरम। पचनदा किनारे की ऐसी तस्वीरें पहली बार सामने आईं।