बुधवार, 21 दिसंबर 2011
लीजिए अब यमुना पर कब्जे की तैयारी
एक विदेशी कंपनी को अब यमुना को बचाने की चिंता सताई है। ब्रिटेन की यह कंपनी डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के साथ मिलकर यमुना को बचाने और उसे इंग्लैंड की थीमस नदी की तरह पवित्र बनाने के काम में जुट गई है। इटावा के पास डिभौली घाट पर थेम्स खिर रेस्टोरेशन ट्रस्ट के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी ने नारियल फोड़कर आज इसकी शुरूआत की।
सवाल उठता है कि देश की सरकारें, तमाम संगठन क्या बिल्कुल ही नालायक हैं जो कि एक विदेशी कंपनी को यह काम सौंपा गया है। ट्रस्ट के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी रॉबर्ट और पीटर स्विलित ने बताया कि
थेम्स खिर रेस्टोरेशन ट्रस्ट इग्लैंड डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया तथा पीस इंसट्यूट के संयुक्त तत्वावधान में यमुना नदी के जल को पवित्र बनाने और उसके जेल में लुप्त हो रहे जलचरों को बचाने के उद्देश्य से संयुक्त अभियान चलाया गया। इसके तहत प्रथम चरण में भरेह से लेकर बटेश्वर तक सर्वे कराया जायेगा और जमुना के जल में जीवन यापन कर रहे जलचरों की गतिविधियों के ज्ञान के साथ-साथ उनकी घटती जनसंख्या के कारणों को खोजा जायेगा।
गौरतलब है कि बीते कुछ सालों से चंबल प्रोजेक्ट के कारण यमुना में भी कछुआ और डाल्फिन की संख्या बढ़ रही है। सवाल है कि जब चंबल प्रोजेक्ट के सफल कार्यान्वयन का उदाहरण सामने है तो फिर उसे आगे बढ़ाने की बजाए यह नया प्रयोग क्यों किया जा रहा है। कहीं नदियों के जल को गुपचुप तरीके से बेचने की योजना का यह कोई गुप्त एजेंड़ा तो नहीं। पहले यह कंपनियां हमें लुभावने सपने दिखाएंगी। हमारी परेशानी को दूर करने के दावे करेंगी और फिर धीरे से हमारे संसाधनों पर कब्जा कर लेंगी। अगर ऐसा नहीं है तो जिस यमुना को बचाने के लिए जल संचयन पुरुष राजेंद्र सिंह ने पंचनद पर जो अभियान शुरू किया उस पर सरकार ने ध्यान क्यों नहीं दिया।
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1 टिप्पणी:
सभ्यता का पर्याय हैं नदियां, काश बच सकें.
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