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शनिवार, 27 दिसंबर 2008

धीरे-धीरे घिर रहा है जगन

बीहड़ और खासकर राजस्थान के लिए सिरदर्द जगन गुर्जर धीरे-धीरे कमजोर पड़ रहा है। बीते दिनों जिस तरह उसके साथी पकड़े गए हैं उससे लगता है कि इस दस्यु का सूचना तंत्र कमजोर हुआ है साथ ही पुलिस की चौकसी इस गैंग को लेकर तेज हुई है। यह अलग बात है कि पुलिस को इस गैंग के खिलाफ कोई बड़ी सफलता नही है हालांकि पुलिस जगन की साथी दस्यु सुंदरी कौमेश को पकड़ने में कामयाब हुई है। यह भी सच है कि जगन इस बीच कोई बड़ी हलचल भी नहीं कर सका है।
चुनाव के बाद फिर बढ़ी हलचल
मध्यप्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव खत्म होने के साथ ही एक बार फिर राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे क्षेत्र में अपहरण की वारदात बढ़ने लगी हैं। बीते 15 दिन में अकेले आगरा से ही तीन लोगों का अपहरण हो चुका है। इसमें दो व्यवसायी है। पुलिस इनमें से एक का भी पता नहीं लगा सकी है। यही नहीं अब यह साफ हो गया है कि दस्यु गैंग ने शहरों में अपने केरियर्स फैला रखे हैं। यह छोटे बदमाश बहुत कम रकम के लिए पकड़ कर गैंग तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। कई मामलों में तो अब अपह्रत को बीहड़ में पहुंचाने की बजाए शहर के ही किसी इलाके में रख दिया जाता है। दस्यु दलों की चुप्पी और शहरी इलाकों में बढ़ रही अपराध की घटना एक नए चलन की ओर इशारा तो जरुरी ही करती हैं।
बदली अपराध की पट्टी
जैसे बदलती हैं नदी अपना मार्ग, जैसे बदलती है जलवायु वैसे ही बीहड़ में अपराध की जगह भी समय-समय पर बदलती रही है। बीहड़ को जानने वाले यह जानते हैं कि मध्यप्रदेश के मुरैना से लेकर उत्तरप्रदेश के औरैया और जालौन तक फैले बीहड़ में अपराधियों की हलचल के स्थान बदलते रहे हैं। 1960-70 के दशक तक अपराध की हलचल मुरैना और भिंड के जिलों में अधिक थी। तब इस इलाके में मलखान सिंह, मोहर सिंह,लाखन, माखन,छिद्दा, मास्टर मंशाराम जैसे गैंग थे। 70 के बाद अपराध की यह हलचल यहां से पूर्व की ओर खिसकी और तब अपराध और गैंग की चहलकदमी औरैया, इटावा, कानपुर देहात और जालौन के इलाके में अधिक रही। इसर दौरान, राम सिंह,मान सिंह मल्लाह, फूलन देवी के गैंग इस इलाके में थे। 2000 के बाद अपराध की यह पट्टी फिर पश्चिम की ओर खिसक कर आगरा, धौलपुर और मुरैना जिले में आ गई है। आज इस इलाके में तीन गुर्जर गैंग का आतंक है।

1 टिप्पणी:

Shamikh Faraz ने कहा…

amar ujala ke subeditor ko tippadi dena mere lie saubhagya ki bat hai kyon ke amar ujala hi vo akhbar hai jisse maine apne lekhan ki shuruaat ki. isi akhbar ne mujhe dikha dikhai aur mein likhte likhte yaha tak pahuncha ke apna blog bhi bana liya.

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