50 घंटे तक 400 जवानों से चित्रकूट के एक गांव में जूझता रहा डकैत घनश्याम केवट आखिरकार मारा गया। पुलिस का घेरा तोड़कर भागने का प्रयास करता घनश्याम आखिर पुलिस की गोलियों का शिकार बन गया। मरने से पहले घनश्याम ने पुलिस को जो घाव दिए हैं उसे शायद भूलाया नहीं जा सकता। इस मुठभेड़ में char जवान शहीद हो गए जबकि कई उच्चाधिकारी भी घायल हुए हैं। घनश्याम केवट ने बहुत जल्दी ही बीहड़ में अपनी ताकत बढ़ा ली थी। उसके पास फायर ताकत बहुत थी। हैंडग्रेनेट से लेकर अत्याधुनिक हथियरों से उसने पुलिस पर हमले किए।
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2 टिप्पणियां:
एक डाकू, चार सो पुलिस के जवान और पचास घंटे...हमारी पुलीस का कितना बड़ा कारनामा है...अगर पचास डाकू होते तो?
नीरज
क्या इस अवसर पर पुलिस वालों की जय की जाए।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
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