बीहड़ में फिर धूलिया
तिग्मांशु धूलिया एक बार फिर बीहड़ में उतर गए हैं। तिग्मांशु यानी वही पान सिहं तोमर वाले। राष्ट्रीय पुरस्कार से उत्हासित धूलिया बीहड़ की कथावस्तु लेकर एक और फिल्म बना रहे हैं। बुलेट राजा नाम की इस फिल्म की शूटिंग के लिए वह बीते दिन इटावा के चकरनगर इलाके में थे। बहुंत मन था तिग्मांशु से मिलने का, लेकिन व्यस्तता के कारण ऐसा नहीं हो सका। तिग्मांशु ने पहले पान सिंह तोमर और अब बुलेट राजा पर फिल्म बनाकर बीहड़ के दो कालखंडों को छू लिया। पानसिंह तोमर (1970-1990) के बीच में बीहड़ के मिजाज, वहां के हालात की कहानी है तो बुलेट राजा देश में खुली अर्थव्यवस्था आने के साथ फैले बाजारवाद के बाद बीहड़ में घुसते अपहरण उद्योंग के बाजार की कहानी है। इस तरह मैने अपने अध्ययन में बीहड़ को जिन तीन कालखंडों बागी(1920-1950), डकैत (1950-1980), दस्यु या लुटेरे (1980-अब तक) में बांटा है उसमें तिग्मांशु अंतिम दो कालखंड को सिल्वर स्क्रीन पर उतार चुके हैं। मैरी हार्दिक इच्छा थी कि तिग्मांशु से मिलता और उनसे बागी सन्यासी पर फिल्म बनाने का सुझाव देता। मगर ऐसा हो नहीं सका। आगे फिर कभी मौका मिले....
तिग्मांशु धूलिया एक बार फिर बीहड़ में उतर गए हैं। तिग्मांशु यानी वही पान सिहं तोमर वाले। राष्ट्रीय पुरस्कार से उत्हासित धूलिया बीहड़ की कथावस्तु लेकर एक और फिल्म बना रहे हैं। बुलेट राजा नाम की इस फिल्म की शूटिंग के लिए वह बीते दिन इटावा के चकरनगर इलाके में थे। बहुंत मन था तिग्मांशु से मिलने का, लेकिन व्यस्तता के कारण ऐसा नहीं हो सका। तिग्मांशु ने पहले पान सिंह तोमर और अब बुलेट राजा पर फिल्म बनाकर बीहड़ के दो कालखंडों को छू लिया। पानसिंह तोमर (1970-1990) के बीच में बीहड़ के मिजाज, वहां के हालात की कहानी है तो बुलेट राजा देश में खुली अर्थव्यवस्था आने के साथ फैले बाजारवाद के बाद बीहड़ में घुसते अपहरण उद्योंग के बाजार की कहानी है। इस तरह मैने अपने अध्ययन में बीहड़ को जिन तीन कालखंडों बागी(1920-1950), डकैत (1950-1980), दस्यु या लुटेरे (1980-अब तक) में बांटा है उसमें तिग्मांशु अंतिम दो कालखंड को सिल्वर स्क्रीन पर उतार चुके हैं। मैरी हार्दिक इच्छा थी कि तिग्मांशु से मिलता और उनसे बागी सन्यासी पर फिल्म बनाने का सुझाव देता। मगर ऐसा हो नहीं सका। आगे फिर कभी मौका मिले....
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