बुधवार, 4 नवंबर 2009
बीहड़ में घुसा बाजार
बीहड़ में अपहरण का उद्योग और फूलन के बाद डकैती को ग्लेमर का बाना पहनते हम देख चुके हैं। अब शहर से लेकर गांव और देहात तक अपनी जड़ जमा चुका बाजार काररूक बीहड़ की तरफ घूम गया है। मुरैना और उसके आसपास बीहड़ की जमीन को निजी और बहुराष्ठीय कंपनी को देने के बाद अब उत्तरप्रदेश सरकार ने भी कानपुर देहात और उसके आसपास की यमुना के बीहड़ की जमीन पर फूलों की खेती कराने की योजना तैयार की है। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि सरकार बीहड़ के उत्थान का यह पम काम किसके जरिए और किस तरह कराएगी। अगर सरकार इस काम में नरेगा की तरह गांव की सीधी भागेदारी करा उनके आर्थिक विकास का रास्ता तैयार करती है तब तो यह ठीक हैऔर अगर वह मध्यप्रदेश की सरकार की तर्ज पर चल कर इसे निजी कंपनियों के हवाले करती है तो यह बीहड़ में एक नये तरह के संघर्ष को जन्म दे सकती है। आखिर बीहड़ के अक्खड़, आक्रामक और विद्रोही तेवर ने उसका जो व्यक्तिवत बनाया है वह इसे कैसे बर्दाश्त करेगा कि कोई उसकी जमीन से लाभ कमाए और वह देखता रहे।
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