बीहड़ की दुनिया में आपका स्वागत है। नए सनसनी और संघर्ष की जानकारी

गुरुवार, 24 जुलाई 2008

गैंगवार में मारा गया रामनरेश

एक अपुष्ट खबर के मुताबिक दस्यु रामनरेश पिनाहट के जंगलों में एक छुटभैये गैंग के साथ हुई मुठभेड़ में मार गिराया गया है। हालांकि पुलिस को अभी तक रामनरेश की लाश नहीं मिली है लेकिन वह इस बात पर डटी हुई है कि रामनरेश मारा जा चुका है। दस्यु रामनरेश ने कई जिलों की पुलिस की नींद उड़ा रखी थी। शहरों में कैरियर के जरिए अपहरण का चलन उसी ने शुरू किया था। उस पर 20 से अधिक वारदातें में नामजद था। इसका नाम यदाकदा कमल और राजेंद्र गिरोह से जोड़ा गया लेकिन इसकी उनसे कभी बन नहीं सकी। पुलिस की माने तो उसका संबंध जेजे गैंग से था।

बुधवार, 23 जुलाई 2008

बीहड़ में ऐसी हो जाती है हालत


बीहड़ में डकैतों का पीछा आसान नहीं है। इसका अंदाज शहर में बैठे और पुलिस को गाड़ी पर घूमते देखने वाले नहीं लगा सकते हैं। इन दिनों बीहड़ के जानकारों के बीच राजस्थान के धौलपुर जिले के बसई डांग की खूब चर्चा है। दरअसल बीहड़ में चर्चित चार गैंग इन दिनों इसी बीहड़ में हैं। इनमें रामसहाय, कमल गुर्जर, जगन गुर्जर इसी इलाके के हैं। इस बीहड़ की संरचना कुछ ऐसी है कि इसमें कांबिंग करना बेहद कठिन है। दूसरे संचार क्रांति ने डकैतों के मुखबिर तंत्र को और अधिक मजबूत बना दिया है। बीहड़ के आसपास पुलिस की आहट होते ही गैंग मुखिया तक इसकी सूचना पहुंच जाती है। बसई डांग के बीहड़ में घुसने के दो ही रास्ते हैं। इसके एक रास्ते में कमल गुर्जर का गांव पड़ता है और दूसरे में गेंदा बाबा का मंदिर है जहं कमल का चाचा पुजारी है। ऐसे में पुलिस कहीं से घुसे गिरोह को सूचना हो जाती है। यही नहीं करीब 40 किलोमीटर की पट्टी में फैले इस बीहड़ में पानी की बेहद किल्लत है। अगर गेंदा बाबा मंदिर से चंबल को सीधे चलें तो करीब 20 खादर को पार करना होता है। इसे पार करने में ही पसीने छूट जाते हैं। ऐसे में बीहड़ में पानी की खोज में ही मुशिकल होती है।

मंगलवार, 22 जुलाई 2008

एक कुआं ऐसा भी


बसई डांग में आसानी से पानी नहीं मिलता है। कई किलोमीटर तक पानी नहीं है। पानी का साधन या तो चंबल नदी है या फिर इक्का-दुक्का कुआं। इन कुओं में भी गरमी के दिनों में पानी नहीं रहता है। हां बरसात में पानी गड्ढ़ो तक में भरा मिल जाता है। ऐसे हालातों में भी यहां हीरा बाबा मंदिर में एक कुआं ऐसा भी है जहां हाथ से बाल्टी डालकर पानी निकाल लिया जाता है। मंदिर के बाबा के अनुसार बस गरमियों में दो फुट की रस्सी की जरूरत होती है।

खत्म हुआ जेजे का गैंग

जगजीवन परिहार उर्फ जेजे गैंग अब पूरी तरह से खुर्द-बुर्द हो गया है। ग्वालियर पुलिस ने सोमवार यानी 21 जुलाई की रात मुठभेड़ में मारे जा चुके दस्यु सरगना जगजीवन परिहार के दो साथियों को पकड़ लिया। यह दोनों वेश बदलकर यूपी की रोडवेज बस से ग्वालियर आ रहे थे। दोनों डकैत 25-25 हजार के इनामी हैं। मुरैना के पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह ने बताया कि पकड़े गए दस्यु जिलेदार सिंह और लोकेंद्र सिंह निवासी मेहचंदपुर थाना सरायछोला जिला मुरैना हैं। बताया गया कि दोनों डकैत पिछले काफी दिनों से दिल्ली जाकर रहने लगे थे।

फिरौती के मंदिर



बीहड़ के बाहर बने मंदिर और धर्मशालाएं फिरौती लेने के स्थान के रूप में कुख्यात हैं। अपह्त व्यक्ति को भी इन्हीं मंदिरों में सरगना अपने संरक्षण में लेता है। फिरौती की बातचीत भी इन्हीं मंदिरों में होती है। राजस्थान के बसई डांग के बीहड़ में दूधाधारी का मंदिर, हीरा बाबा का मंदिर और गेंदा बाबा की धर्मशाला ऐसे ही स्थान हैं।

रविवार, 20 जुलाई 2008

बीहड़ में कौन कहां



राजस्थान के धौलपुर का बीहड़। गैंगों के लिए सुरक्षित किले की तरह है। धौलपुर के बाड़ी रोड़ पर बसई डांग थाने की सीमा के साथ ही शुरु होता है डकैतों का इलाका। इसी इलाके में डेरा डाले हुए हैं वे डकैत जिनके खौफ से इस समय दहशत है।--कौन कहां-राजस्थान के धौलपुर, मध्यप्रदेश के मुरैना और उत्तरप्रदेश के आगरा जिलों से सटे चंबल के बीहड़ों में इन दिनों चार दस्यु गिरोह सक्रिय हैं। दिलचस्प यह है कि चारों ही गुर्जर हैं और इन सभी ने बीहड़ में अपने इलाके बांटे अपना इलाका घोषित कर रखा है।बसई डांग-धौलपुर जिले के इस इलाके में रामसकल और कमल गुर्जर और राजेंद्र का गिरोह सक्रिय है। मासलपुर-रामसकल गुर्जर गैंग का नया ठिकाना इस इलाके में बना है। कमल से मनमुटाव के बाद उसने यह स्थान चुना है।सरमथुरा-मध्यप्रदेश के मुरैना जिले से लगने वाले राजस्थान के इस इलाके में जगन गुर्जर का हुकुम चलता है। यहां वह पत्थर खदानों के ठेकेदार से चौथ वसूलता है।यह है कमल गुर्जर का देवपुर गांव में स्थित मकान



बीहड़ में भिड़ गई पुलिस


राजस्थान और यूपी के बॉर्डर पर देखने वालों को एक नया तमाशा देखने मिला। अब तक बीहड़ में डकैत गिरोहों को आपस में लड़ते सुना होगा लेकिन यहां तो पुलिस ही आपस में उलझ गई। राजस्थान और यूपी के बीहड़ में डकैत कमल गुर्जर को ढूंढने गई पुलिस को कमल तो नहीं मिला अलबत्ता राजस्थान पुलिस जरूर मिल गई वह भी एसएसपी के साथ। उत्तरप्रदेश के आगरा के एसएसपी रघुवीर लाल को देख राजस्थान पुलिस की भौंहे तन गईं। होना तो यह चाहिए था कि दोनों दल गरमजोशी से मिलते लेकिन राजस्थान के एसएसपी कुछ ज्यादा ही गरम हो गए। यूपी के पुलिस बल के साथ गाली गलौज पर उतर आए। अगर यूपी का दल समझ से काम नहीं लेता तो कुछ भी हो सकता। शायद पुलिस यह मामला भी दबा जाती लेकिन पुलिस दल के साथ गए कैमरामैन ने कैमरे की आंख खोल दी और सब कुछ कैद हो गया। आपकी नजर को पेश है एक तस्वीर.....। इसके साथ ही दूसरी तसवीर के कमल गुर्जर के गांव देवपुरा में स्थित उसके घर की।

शनिवार, 19 जुलाई 2008

बुद्धा की धमकी.. तो गांव कर देगा बरबाद

उत्तरप्रदेश के औरैया जिले के गांव कैथोली के लोग इन दिनों बहुत भयभीत है। डर का कारण है डकैत बुद्धा का एक फरमान। इस फरमान में बुद्धा ने अपने साथी और अब जेल में बंद बिजली के खिलाफ किसी भी तरह का बयान देने पर पूरे गांव को बर्बाद करने की धमकी दी है। बुद्धा डाकू जगजीवन परिहार का साथी है और उसके बचे गिरोह का मुखिया है। बिजली कभी उसी का साथी था। कैथोली वही गांव है जहां से 2006 की शुरुआत में 10 लोगों का जगजीवन गिरोह ने अपहरण कर लिया था और बाद में 100 ब्राह्मणों का कत्ल करने का ऐलान किया था। कैथोली के लोगों से उसकी दुशमनी तभी से है। बुद्धा का धमकी का असर यह है कि अब लोग गांव से पलायन कर रहे हैं और पुलिस है कि बस शेखी मार रही है।

बुधवार, 16 जुलाई 2008

अब बैंडिट टूरिज्म


राजस्थान की सरकार में बैठे कुछ ज्ञानियों की चली तो जल्द ही बीहड़ डरने की नहीं देखने और सैर सपाटे की जगह होगी। अकेली राजस्थान सरकार ही क्यों मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सरकार भी इससे लगभग सहमत ही है। मसला यह है कि राजस्थान सरकार ने चंबल के बीहड़ो में टूरिज्म को बढ़ावा देने की पूरी रुपरेखा भी तैयार कर ली है। इस योजना के तहत पर्यटकों को उन स्थानों पर घूमाया जाएगा जहां कभी डकैत रहा करते थे या फिर जिन जगहों पर मशहूर मुठभेड़ हुई या कोई डकैत मारा गया। इसके साथ ही बीहड़ में डकैत किस तरह रहते हैं और उनकी दिनचर्या क्या रहती है यह भी बताया जाएगा। इस सबके लिए गाइड का काम करेंगे आत्मसमर्पण कर चुके डकैत। इन डकैतों को इसके लिए तैयार भी किया जा रहा है। राजस्थान डांग एरिया डवलपमेंट बोर्ड के चैयरमेन का कहना है कि करौली, भरतपुर, धौलपुर, कोटा के बीहड़ों में इसके लिए काम शुरू भी कर दिया गया है। मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश सरकार से भी इस मुद्दे पर बातचीत जारी है। इनकी सहमति मिलते ही तीनों सरकारें सम्मिलित तौर पर इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाएंगी। यानी अब बीहड़ से सीधा पैसा बनाया जाएगा। भइया इस तरह तो सरकार मेरे ब्लॉग के पीछे पड़ गई है। जब वही यह काम करेगी तो हम क्या करेंगे।

शनिवार, 5 जुलाई 2008

लोहे से लोहा काटती पुलिस

एक हैं रामसहाय गुर्जर। इन दिनों महाशय का आतंक राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की पुलिस झेल रही है। बीहड़ में डकैत हैं रामसहाय गुर्जर। कल तक इनकी डकैत कमल गुर्जर से खूब छनती थी लेकिन अब पुलिस कमल गुर्जर के जरिए रामसहाय तक पहुंचने की फिराक में है। कमल गुर्जर गुर्जर आंदोलन के दौरान राजस्थान की मुख्यमंत्री को धमकी तक दे डाली थी। धमकी जगन गुर्जर ने भी दी थी। जगन पर अब दस लाख का ईनाम घोषित कर दिया गया है। राजस्थान और मध्यप्रदेश की पुलिस हाथ धोकर उसके पीछे पड़ गई है। कमल का भाई भी उसका साथ छोड़कर समर्पण कर चुका है। ऐसे में कमल भी समर्पण का मन बना रहा है। उसे जरूरत है तो किसी ऐसे विश्वस्त की जो उसकी जान सलामती का भरोसा दे सके। कमल की इसी कमजोरी का फायदा उठाकर पुलिस कमल के जरिए रामसहाय तक पहुंचने की जुगत लगा रही है। कहा जाता है कि रामसहाय इन दिनों धौलपुर के जंगलों में डेरा डाले हुए है। यह इलाका कमल गुर्जर का कहा जाता है। रामसहाय के पास मुरैना और ग्वालियर की कुछ पकड़ भी हैं।

बुधवार, 2 जुलाई 2008

कुछ कहने से पहले यह भी जान लें---

न्यायालय का आदेश ईश्वर का हुकुम। मगर इस संदर्भ में मैं एक घटना का जिक्र कर देना चाहूंगा। बात उस समय की है जब में उत्तरप्रदेश के औरैया जिले में एक प्रतिष्ठित अखबार का ब्यूरो चीफ था। उस समय न्यायालय से जुड़ी तमाम खबरें मैने धारावाहिक निकाली थी। उसमें एक डकैती की फाइल के चोरी होने और बाद मे उस फाइल के एक माननीय जज के ड्राइवर के पास उनकी ही गाड़ी से मिलने का समाचार भी था। मैं उन जज साहब का नाम भी लिख सकता हूं लेकिन यहां उसे बताना जरूरी नहीं समझता। तो, साहब उन खबरों के बाद मुझे डाक से एक चिट्ठी मिली। यह चिट्ठी जैसा की उस पर अंकित था उस समय के दुर्दांत डकैती जगजीवन परिहार की ओर से भेजी गई थी। इस चिट्ठी के साथ एक और चिट्ठी की फोटोकापी भी थी। यह चिट्ठी उन्हीं जज साहब ने जगजीवन को लिखी थी। इसमें लिखा गया था कि अगर जगजीवन इस रिपोर्टर यानी मुझे ठिकाने लगा दे तो 10 लाख रुपये देगा। दूसरी चिट्ठी जो कि जगजीवन की ओर से मुझे लिखी गई थी उसका लब्बोलुबाब यह था कि वह किसी पत्रकार को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता। ऐसे में मेरी भलाई के लिए वह यह पत्र मुझे भेज रहा है। साथ ही एक पत्र पुलिस अधीक्षक भिंड को भी ताकि मेरी हिफाजत की जा सके।कुल मिलाकर इस पत्र के बाद में चुप नहीं बैठा। मै और मेरे एक वकील साथी इस पत्र को लेकर तत्कालीन एसएसपी दलजीत चौधरी, जिन्हें बाद में डकैतों के सफाए के लिए राष्ट्रपति पदक भी दिया गया के पास पहुंचे। भिड़ के एसपी जिनका नाम इस वक्त मुझे याद नहीं है से भी मिला। भिंड एसपी की बातों से हमें ऐसा लगा कि उन्हें इसके बारे में बहुत कुछ जानकारी है लेकिन वह कुछ छुपा रहे हैं। हालांकि उन्होंने मुझसे सावधान रहने को जरूर कहा। यहां यह जरूर बता देना चाहता हूं कि इस समय जगजीवन का गैंग भिड़ के आसपास ही था।दलजीत चौधरी ने शुरूआत में पत्र को काफी गंभीरता से लिया लेकिन बाद में वह भी धीरे पड़ गए। इस मामले मैं रिपोर्ट लिखाना चाहता था लेकिन वह नहीं लिखी गई।बाद मैं इन्हीं जब साहब के बारे में एक स्टोरी और मैने की। जज साहब जिस मकान में कुछ दिन किराएदार रहे उसका पुत्र गायब था। मकान मालिक का आरोप था कि जज के उनकी पुत्रवधू से नाजायज संबंध थे और जज साहब ने ही उसका मर्डर करा दिया था। यह पुत्र इन बुजुर्गों की एकमात्र संतान थी। हालांकि मेरी इस स्टोरी को बाद में स्टार ने भी चलाया। नतीजा यह हुआ कि जज साहब को निलंबित कर दिया गया। मगर मेरे नाम जगजीवन को सुपारी देने वाली उस चिट्ठी की सच्चाई अभी भी मेरे लिए रहस्य बनी हुई है। न्यायालय में मैने इस संबंध में पत्र भी दिया था लेकिन कुछ नहीं हुआ।मैरे कहने का मतलब है कि हर अच्छे बुरे में मीडिया के सिर बुराई का ठीकरा फोड़ने से पहले खुद की ओर देख लेना भी ठीक रहता है।ज्यादा क्या कहूं। कोर्ट चालू है.....पता नहीं कब कह दिया जाए मोहन जोशी हाजिर हो....

डाकुओं पर हाईकोर्ट की अंगुली


मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर बैंच ने केंद्र और राज्य सरकार समेत देश के प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया को निर्देशित किया है कि वे डकैतों का महिमा मंडन कतई न करें और न होने दें। ऐसा इसलिए भी जरूरी है कि भावी पीढ़ी डकैतों के जघन्य अपराधों से प्रेरित न हो। मुख्य न्यायाधीश एके पटनायक और न्यायामूर्ति एके गोहिल की युगलपीठ ने यह निर्देश शर्मा फार्म रोड चार शहर का नाका निवासी विशन सिंह की जनहित याचिका की सुनवाई पर दिया। यह याचिका तब दायर की गई जब निर्भय सिंह के आत्मसमर्पण की योजना चल रही थी।