बुधवार, 10 अगस्त 2011
फक्कड़ और कुसुमा नाइन सहित पांच को आजीवन कारावास
इटावा। न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश दस्यु प्रभावित क्षेत्र अदालत में 13 वर्ष पुराने अपहरण हत्या जैसे संगीन मामले में विशेष न्यायाधीश संदीप जैन ने पूर्व दस्यु कुख्यात रामआसरे उर्फ फक्कड़ और कुसमा नाइन सहित पांच लोगों का आजीवन कारावास की सजा सुनायी तथा सभी से 25-25 हजार का अर्थदंड भी वसूलने का आदेश दिया।
भरेह थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम हरोली निवासी वादिनी हीरा देवी द्वारा तीन जुलाई 1998 को लिखित शिकायत के आधार पर बताया कि फक्कड़ गिरोह द्वारा ग्राम हरोली के ग्राम प्रधान को बंधक बनाकर उसके छोटे भाई सत्यवीर सिंह द्वारा उसके पति आदेश तिवारी को बुलाया गया। उसके एक सप्ताह बाद पांच लाख की फिरोती की मांग की गयी। एक अक्टूबर 1998 को मुकदमा दर्ज किया गया। उक्त घटना की विवेचना तत्कालीन थानाध्यक्ष भरेह लल्लूराम द्वारा की गई थी एक तथ्य और सामने आया कि जिस दिन आदेश तिवारी का अपहरण फक्कड़ गिरोह द्वारा किया था। उसी दिन गांव से शिवशंकर का भी अपहरण किया गया परन्तु फिरोती देकर वह छूट आया था। उसी ने ब्यान दिया कि फक्कड़ ने आदेश तिवारी को अभियुक्तगण रामकरन चौबे, भगवान दास, श्रीनारायण और विशंबर को सौंप दिया था। उसके बाद इन चारों अभियुक्तों को आदेश तिवारी को कुल्हाड़ी से काटते हुये देखा है। उसने यह भी ब्यान दिया कि उक्त अभियुक्तों ने हत्या में प्रयोग की गयी कुल्हाड़ी को खून से सनी हुयी रामआसरे उर्फ फक्कड़ को दे दी। देते समय फक्कड़ ने कहा था कि यदि शिवशंकर और अन्य ने अगर तीन-तीन लाख नहीं दिये तो उनका भी यही हाल होगा। यह भी बताया कि आदेश की लाश को उसी दिन शाम सात बजे उपरोक्त अभियुक्तगणों ने एक बोरे में भरकर क्वारी नदी में फेंक दी थी।
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद तमाम गवाहों को भी सुना तत्पश्चात यह आदेश दिया कि उक्त मामले में अभियुक्त श्रीनारायन उर्फ गिल्लू पुत्र राजाराम दुबे को तथा रामकरन चौबे पुत्र शंभूदयाल चौबे निवासी ग्राम हरौली थाना भरेह तथा तीसरा अभियुक्त विशंभर सिंह पुत्र जंगीसिंह उर्फ जंगबहादुर निवासी बसरी थाना विठोली तथा राम आसरे उर्फ फक्कड़ और कुसमा नाइन का आदेश तिवारी की हत्या के अपराध में धारा 302 भादसं सश्रम कारावास तथा 15 हजार रुपया अर्थदंड तथा अर्थदंड न करने पर दो वर्ष के अतिरिक्त सश्रम कारावास से दंडित किया। उपरोक्त मामले में राज्य की ओर से शासकीय अधिवक्ता दयाशंकर शुक्ला ने पैरवी की।
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