शनिवार, 22 अक्टूबर 2011
चंबल घाटी विकास होगा चुनाव का मुद्दा
चंबल घाटी विकास होगा चुनाव का मुद्दा
चंबल के विकास के लिए केंद्र से 12 हजार करोड़ का पैकेज
इटावा। इस बार चुनाव में चंबल का इलाका फिर छाया रहेगा, लेकिन इस बार इसका कारण डकैतों के फरमान नहीं बल्कि विकास की आवास होगी। इलाके की एक समिति ने चंबल घाटी के विकास के सवाल को उठाते हुए इसे चुनाव का मुद्दा बनाने का ऐलान किया है। इस समिति ने चंवल के विकास को हजार करोड़ के पैकेज की घोषणा करने की भी मांग की है।
लोक समिति चंबल घाटी समग्र विकास आंदोलन का दूसरा चरण दीपावली के बाद शुरू कर इसे आने वाले विधान सभा चुनाव में मुद्दा बनाएंगी।
समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुल्तान सिंह ने कहा कि समिति विधान सभा चुनाव में उस पार्टी और उम्मीदवार का समर्थन करेगी जो विधान सभा में पहुंचकर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए आवाज बुंलद करेगा। लोक समिति पिछल्ले दो वषों से भारत सरकार से बीहड़ क्षेत्र विकास के लिए संघर्ष कर रही है। इसके लिए इटावा, भिंड तथा आगरा में धरना-प्रदर्शन और अनशन कर प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी दिये जा चुके हैं। दूसरे चरण का आंदोलन प्रभावी बनाने के लिए पंचनदा से लेकर मुरैना तक जनजागरण यात्रा शुरू की जाएगी तथा इसा समापन मुरैना में धरना-प्रदर्शन कर होगा।
लोकसमिति एक ओर चंबल घाटी समग्र विकास के लिए भारत सरकार से 12000 करोड़ के पैकेज की मांग कर रही है। वही दूसरी ओर कंपिल से कन्नौज तक गंगा-रामगंगा क्षेत्र को बाढ़ मुक्त कराने के लिए नदियों के दोनों और तटबंध बनाने की मांग शुरू हो चुकी है। चंबल घाटी क्षेत्र इटावा, आगरा, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, धौलपुर, भरतपुर तक 38000 वर्ग किमी में फैला है, जो अत्यंत गरीब और पिछड़ा है। इसकी उप्र, मप्र तथा राजस्थान की सरकारों द्वारा घोर उपेक्षा की गई है।
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