बीहड़ की दुनिया में आपका स्वागत है। नए सनसनी और संघर्ष की जानकारी

शुक्रवार, 27 जून 2008

बीहड़ सुधरे तो मिले दस्यु समस्या से छुटकारा

बीहड़ी इलाकों में दस्यु समस्या का कारण इस क्षेत्र में फैला बीहड़ है। भुमी कटाव से हर वर्ष 0.3 फीसदी उपजाऊ भूमि बीहड़ में तब्दील हो जाती है। इस बीहड़ का समतलीकरण करके और भूमि कटाव को रोककर जनता को दस्यु समस्या से छुटकारा दिलाया जा सकता है। शासन ने भूमि सुधार के अब तक जो भी प्रयास किए हैं वह नाकाफी रहे हैं और इनमें जनता की सीधी भागेदारी नहीं हुई है।शासन और प्रशासन के लिए इटावा, जालौन, कानपुर, हमीरपुर, आगरा, फीरोजाबाद, मध्यप्रदेश में भिंड और मुरैना के लगभग 10 लाख हेक्टेयर में फैले बीहड़ की भूमि को उपयोग में लाना एक चुनौती है वहीं इस क्षेत्र में पल रहे दुर्दांत डकैत, लोगों की जान माल के दुश्मन बने हुए हैं। इस बीहड़ भूमि में वृक्षारोपण के प्रयास तो किए गए हैं, लेकिन अभी भी कई ग्राम सभाओ के पास नंगी, सूखी, बंजर भूमि प़ड़ी हुई है।मैने खुद इटावा और औरैया जिले में इसके हालात देखे और जांचे हैं। यहां के भूमि संरक्षण विभाग के एक अध्ययन के मुताबिक बढ़ता बीहड़ हर साल लगभग 250 एकड़ उपजाऊ भूमि को निगल रहा है। हर सात साल में 2.3 फीसदी अच्छी भूमि कगारों के ढहने और कटने से बीहड़ में तब्दील होती जा रही है। जिला भूमि उपयोग समिति के आंकड़ों के मुताबिक इटावा और औरैया जनपद की कुल कार्यशील जनसंख्या में 79.9 फीसदी लोग कृषि कार्य में लगे हैं। 1995-96 में शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल 1 लाख 42 हजार 605 हेक्टेयर था जो 1997-98 में घटकर 1 लाख 40 हजार 431 हेक्टेयर रह गया है।चंबल और यमुना के संगम पर फैले अगर पंचनद बीहड़ की बात करें तो यहां हालात और भी खराब हैं। यहां यमुना, चंबल, पहुंच,सिंध और क्वारी का मिलन होता है। इसके साथ ही इटावा, औरैया, जालौन और मध्यप्रदेश के भिंड जिले की सीमा यहां मिलती है। इन नदियों के प्रवाह क्षेत्र के लगभग 220 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में बीहड़ है। तेजी से बढ़ रहे बीहड़ी क्षेत्र से हर वर्ष उपजाऊ भूमि का 0.3 फीसदी भाग बेकार हो जा रहा है।
नाकारा प्रशासन
बेकार पड़ी भूमि को उपयोग में लाने के लिए जनता को प्रोत्साहित करने को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी भूमि उपयोग समिति भी इस दिशा में सार्थक काम नहीं कर सकी है। इस समिति का काम साल में एक दो बैठक करने तक ही सिमट गया है। भूमि संरक्षण विभाग के ही एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि कटान से हर साल 250 एकड़ की गति से बढ़ रहे बीहड़ की रफ्तार को कुछ गांवों में चकडैम बनाकर कुछ कम तो किया गया है लेकिन बीहड़ी क्षेत्रफल को देखते हुए यह कदम कुछ भी नहीं है।
क्या कर सकते हैं
बीहड़ को समतल करने का काम जनता के हाथ में दे दिया जाए। समतल की गई भूमि का पट्टा उसी व्यक्ति या किसान के नाम कर दिया जाए। एक व्यक्ति को एक तय जमीन ही समतल करने को दी जाए। इससे होगा यह कि भूमिहीनों को जहां जमीन मिल सकेगी वहीं खेती का रकबा भी बढेगा। इसके साथ ही बीहड़ साफ होने से डाकुओं की समस्या से ही निजात मिल सकेगी।

इनामी दस्यु मोहन गुर्जर ढेर

जगन से खटपट के बाद खुद का गिरोह बनाया था

मध्यप्रदेश और राजस्थान में वांटेड और अपना नया गैंग खड़ा करने वाला मोहन गुर्जर गुरुवार की सुबह पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया। घंटे भर चली गोलीबारी में 20 हजार का इनामी और लगभग 30 मामलों में वांछित मोहन गुर्जर मुरैना पुलिस की गोली से धराशायी हो गया। उसके छह साथी भागने में सफल हो गए।राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीहड़ में आतंक मचाने वाला डकैत सरगना जगन गुर्जर गैंग के सदस्य मोहन गुर्जर ने जगन गुर्जर से खटपट के बाद खुद का गैंग बना लिया था। उसके गैंग में छह सदस्य थे। मोहन राजस्थान के धौलपुर, बाड़ी, डांगबसई और मध्यप्रदेश के मुरैना, जौरा, सबलगढ़ आदि क्षेत्रों में लगातार वारदातें कर रहा था। वह राजस्थान में वारदात कर मध्यप्रदेश की सीमा में आ जाता था और फिर मध्यप्रदेश में वारदात करने के बाद राजस्थान भाग जाता था। मुरैना पुलिस के मुताबिक मोहन चंबल के बीहड़ों में अपने साले के यहां देवगढ़ में शरण लिए हुए थे। पुलिस ने बताया कि गैंग के पास एके 47 भी है। मुठभेड़ स्थल से पुलिस को एके 47 के कुछ राउंड मिले हैं। मोहन गुर्जर थाना डांगबसई नयापुरा राजस्थान का रहने वाला था।

सोमवार, 23 जून 2008

एनकाउंटर पर उबले दिग्विजय

मध्यप्रदेश की मुरैना जिले की तहसील कैलारस में इन दिनों हलचल है। हलचल है एक अपराधी को पुलिस एनकाउंटर में मार गिराए जाने की। असल में विरोध पुलिस के एनकाउंटर को लेकर है। पुलिस ने बीते दिनों यहा कल्लू सिकरवार नाम के व्यक्ति का एनकाउंटर कर दिया। पुलिस के मुताबिक वह फरार चल रहा था। इस बात पर जनता ने तीव्र विरोध है। लोगों का कहन है कि कल्लू फरार नहीं था। वह बकायदा अपने परिवार के साथ कैलारस कस्बे में रह रहा था। वह एक मामले के सिलसिले में कोर्ट में पेशी पर गया था। तभी पुलिस ने उसे मार गिराया। यहां तक तो बात ठीक थी लेकिन इस मामले में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कूद पड़े हैं। उन्होंने बयान दिया है कि पुलिस को यह एनकाउंटर महंगा पड़ेगा। बताते हैं कि यह व्यक्ति दिग्विजय सिंह का रिश्तेदार था। इस रिश्तेदारी के कारण पूर्व मुख्यमंत्री को मुंह खोलना पड़ा। सच्चाई कुछ भी हो लेकिन इससे मध्यप्रदेश की पुलिस की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है।

मंगलवार, 17 जून 2008

बीहड़ में मुंडा

महीनों से भूमिगत चल रहा एक और सरगना जाग उठा। रामनिवास उर्फ मुंडा के नाम से चर्चित कभी छोटी-मोटी वारदात करने वाले इस सरगना ने इस बार मथुरा के रिटायर्ड नेवी अधिकारी पुत्र के अपहरण कर डाला। आगरा क पिनाहट से लगे बीहड़ में सरगना के टिके होने की पुलिस को भनक लग गई। इस समय सरगना सौदेबाजी कर रहा था। पुलिस आने की खबर से अपह्रत सहित भाग गया। कुछ समय पहले इस मुंडा के पास नगला पदी में रहने वाले पूर्व पार्षद नत्थी सिंह के पुत्र हरिओम की पकड़ पहुंचाई गई। सूत्रों को मुताबिक मुंडा ने हरिओम के परिजनों में 15 लाख फिरौती की मांग की है।

शुक्रवार, 13 जून 2008

नादिया मारा गया

यमुना और चंबल के बीहड़ में आतंक मचाने वाला अमीनाबाद दलित हत्याकांड का मुख्य आरोपी और तीन दर्जन से अधिक मामलों में वांछित दस्यु सरगना दीपचंद उर्फ नादिया इटावा के पास पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया। उसके साथ 10 हजार रुपये का ईनामी डकैत सोनवीर और लुखरिया भी मुठभेड़ में मार गिराया गया। नादिया पर 20 हजार रुपये का इनाम था। पिछले कुछ ही दिन में वह इटावा, औरैया और भिंड के बीहड़ों में आतंक फैलाए हुए था। नादिया बिरौधी थाना भरथना इटावा का निवासी था। इकदिल के पास अमीनाबाद में पांच दलितों की सामूहिक हत्या कर वह चर्चा में आ गया था।

मंगलवार, 10 जून 2008

पुलिस ने पंजाब को घेरा

एक लाख के ईनामी डाकू और भिंड,ग्वालियर, शिवपुरी के साथ मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश की पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुके डाकू पंजाब को ग्वालियर के पास घाटीगांव में पुलिस ने घेर लिया है। सूचना लिखे जाने तक मुठभेड़ जारी है। मुठभेड़ में पंजाब के खास साथी राजेंद्र के घायल होने की सूचना है। मुठभेड़ की खबर सुनकर भारी भीड़ जमा हो गई है।जगजीवन परिहार और गड़रिया गिरोह के खत्म होने के बाद बीहड़ में पंजाब ही एक मात्र ताकतवर गैंग बचा हुआ है। यह खुशी की बात है कि बीते कुछ सालों से पुलिस डकैतों के खिलाफ काफी आक्रामक हुई है। वह डाकुओं को सीधे मुठभेड़ में मार गिरा रही है। अलबत्ता को किसी डाकू को मार गिराने के बाद अक्सर ही बीहड़ों में उसे धोखे से मार गिराने की कई कहानियां चल पड़ती हैं। मानों पुलिस ने किसी बहादुर के साथ बड़ी नाइंसाफी की हो।पंजाब का आतंक इस इलाके में बहुत है। वह गुर्जर डाकुओं की कड़ी में खतरनाक डाकू माना जाता है। अगर वह मारा गया तो यह इलाके की जनता के लिए राहत की बात होगी।

रविवार, 8 जून 2008

राजेंद्र और कमल गुजर्र

आगरा और धोलपुर के आसपास हंगामा मचा रहे बदमाश राजेंद्र और कमल गुर्जर पर डीजीपी उत्तरप्रदेश विक्रम सिंह ने 20 हजार का ईनाम घोषित किया है। साथ ही उन्होंने ऐलान किया है कि इन बदमाशों को मारो और मनपसंद पोस्टिंग और प्रमोशन पाओ। देखते हैं पुलिस का कौन बहादुर सामने आता है। डीजीपी महोदय कोई जुगत भिड़ाओ ऐसे तो यह हाथ आने वाले नहीं।

शुक्रवार, 6 जून 2008

जनप्रिय बागी

अपनी तमाम ऊंचनीच के बावजूद इस दौर के बागी जनप्रिय थे। अंग्रेजी कुशासन कुशासन और अव्यवस्था के खिलाफ लक्ष्यहीन और बहुत हद तक निजी ही सही उनकी बगावत बहुसंख्यक उत्पीड़ित जनता की प्रतिध्वनि ही थी। बागी मानसिंह के समाकालीन मुरैना जिले की पोरसा तहसील के गांव नगला के लाखनसिंह की लोकप्रियता तो इतनी अधिक फैल गई थी कि लोगों ने उन पर लंगुरिया (लोकगीत) तक बना लिए थे। जैसे-
नगरा के लाखनसिंह लगुंरिया।
तखत हिलाए दओ दिल्ली को।
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